Madhu varma

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लेखनी कविता - पुनः चमकेगा दिनकर -अटल बिहारी वाजपेयी

पुनः चमकेगा दिनकर -अटल बिहारी वाजपेयी

आज़ादी का दिन मना,
नई ग़ुलामी बीच;
सूखी धरती, सूना अंबर,
मन-आंगन में कीच;
मन-आंगम में कीच,
कमल सारे मुरझाए;
एक-एक कर बुझे दीप,
अंधियारे छाए;
कह क़ैदी कबिराय
 न अपना छोटा जी कर;
चीर निशा का वक्ष
 पुनः चमकेगा दिनकर।

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